Search This Blog

8/29/2012

अपने भीतर झाँक लें अपनी कमी को देख लें

                                             By अनिरुद्ध सिन्हा

अपने भीतर झाँक लें अपनी कमी को देख लें
इस लतीफ़ों के शहर में ज़िन्दगी को देख लें ।

तालियों के शोर में उनकी सहज मुस्कान में
दर्द का काँटा चुभाकर रहबरी को देख लें ।

प्यार से छूकर गया जो गूँथकर चिंगारियाँ
वक़्त के पहलू में वैसे अजनबी को देख लें ।

रंग आवाज़ों के बदलेंगे उछालो रोटियाँ
एक मुद्दत से खड़ी इस मफ़लिसी को देख लें ।

कब तलक गर्दन हमारी न्याय-मंचों तक रहे
सिलपटों में इस व्यथा की वर्तनी को देख लें ।

No comments:

Post a Comment